सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में पटाखों पर लगायी पाबन्दी क्या है सच्चाई

सुप्रीम कोर्ट के एक स्टेटमेंट पर काफी विवाद हो रहा है जो स्टेटमेंट है “Festival of light should not become Festival of Noise” जिसका मतलब दीपावली  का  त्यौहार रौशनी का त्यौहार है न की शोर शराबे का यह स्टेटमेंट मंगलवार को दी गयी थी

इस स्टेटमेंट पर विवाद विवाद होने पर सुप्रीम कोर्ट ने इस स्टेटमेंट की व्याख्या की है  लेकिन तब तक पुरे देश भर में  पटाखों पर बैन की खबर ने कंट्रोवर्सी क्रिएट कर दी है कुछ लोगो ने विभिन विभिन्न तंग कस कर बोला की दिवाली पर पटाखे तो जरूर जलेंगे

दीपवाली जो खुशिओ का, रोशनी का त्यौहार है जिस दिन भगवन श्री राम सीता माता के साथ अयोध्या पहुंचे थे इससे अलग माता लक्ष्मी का जन्म और कई धार्मिक और इतिहासिक कार्य के लिए ये दिन काफी प्रसिद्ध है ।

प्रदूषण के चलते दिल्ली में बैन किये गए पटाखे ?

प्रदूषण के चलते दिल्ली ( भारत की राजधानी ) में पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध किया गया है क्योकि दिल्ली में AQI (Air Quality INdex) वायु स्वछता सूचकांक 700+ है जो वायु सांस लेने के लिए काफी खतरनाक है ज़हरीली है

जिससे काफी दिल्लीवासी बीमार पड़ रहे है जिनमे अस्थमा, फेफड़ो और दिल के रोगी ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है जिसके चलते दिल्ली में पूरी तरह से पटाखों पर बैन किया गया है क्योकि दिल्ली की हवा पहले से ही इतनी प्रदूषित है ।

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तो आखिर क्या है सच्चाई – SC BAN FIREWORKS

प्रश्न: सर्वोच्च न्यायालय ने पूरे भारत में विशेषकर दिवाली के दौरान आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगा दिया है ?

1. सुप्रीम कोर्ट का फैसला विशेष रूप से राजस्थान के एक मामले के जवाब में था, जो गंतव्य शादियों का केंद्र है जहां आमतौर पर आतिशबाजी का उपयोग किया जाता है।

2. उन्होंने मानव स्वास्थ्य पर इसके हानिकारक प्रभावों के कारण बेरियम नाइट्रेट युक्त आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगा दिया।

3. प्रतिबंध केवल बेरियम नाइट्रेट से बनी आतिशबाजी पर लागू होता है।

4. आश्चर्य है कि “बेरियम नाइट्रेट आतिशबाजी” क्या हैं? ये ऐसी आतिशबाजी हैं जो आसमान में उछलती हैं और फट जाती हैं, जिससे अक्सर जीवंत हरी रोशनी पैदा होती है।

इसलिए पटाखों पर बैन से जुड़े ट्वीट से गुमराह न हों.

दिवाली पर सिर्फ ग्रीन पटाखे ही फोड़े जाये यानी वो पटाखे जिनमे बेरियम नाइट्रेट न हो क्योकि बेरियम नाइट्रेट युक्त आतिशबाजी पर्यावरण के साथ साथ मानव स्वास्थ्य पर भी काफी बुरा प्रभाव छोड़ती है ।

Credit Earthsky
Credit Earthsky

पूरी जानकारी डिटेल में

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि पटाखों में प्रतिबंधित रसायनों के इस्तेमाल के खिलाफ उसके निर्देश सिर्फ दिल्ली और उसके पड़ोसी इलाकों में ही नहीं, बल्कि सभी राज्यों पर लागू होते हैं।

शीर्ष अदालत का स्पष्टीकरण एक आवेदन पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें राजस्थान को कुछ पटाखों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने और वायु और ध्वनि प्रदूषण को कम करने के अदालत के आदेश को लागू करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

न्यायमूर्ति ए.एस. की पीठ बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश भारत में पटाखों की बिक्री, खरीद और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे।

याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा, “ऐसी धारणा है कि आपके आधिपत्य का आदेश केवल दिल्ली-एनसीआर पर लागू होता है, हालांकि यह पूरे देश में लागू होता है।”

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि यह गलत धारणा है कि यह केवल अदालत का कर्तव्य है। जब पर्यावरण संबंधी मामलों की बात आती है

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया था क्योंकि यह वायु प्रदूषण संकट में योगदान दे रहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर प्रतिबंध को बरकरार रखते हुए कहा कि “प्रदूषण पर अंकुश लगाना सिर्फ अदालत का कर्तव्य नहीं है।” शीर्ष अदालत ने कहा, “जब प्रदूषण की बात आती है, तो यह गलत धारणा है कि यह अदालतों का कर्तव्य है। लेकिन यह हर किसी का कर्तव्य होना चाहिए।”

अदालत ने अपनी टिप्पणी यह ​​भी साझा की कि इन दिनों स्कूली बच्चों की तुलना में बुजुर्ग अधिक पटाखे फोड़ते हैं।

हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया कि “पटाखों पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है, केवल बेरियम नमक वाले पटाखों पर,” यह ध्यान दिया जा सकता है कि अधिकांश पटाखों में बेरियम क्लोरेट और नाइट्रेट होते हैं जो जलाने पर पीली हरी लौ देते हैं।

 

आपको क्या लगता है बैन होने चाहिए पटाखे या नहीं कमेंट कर के बताये 

 

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